एक गांव ऐसा भी जहाँ
40 में से 39 बच्चे शराब पीकर आते-!
रामकिशोर पंवार
आजकल समाचार पत्रो में पहले पेज की स्टोरी बनने की तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया में दिन भर सुर्खियों में छाये रहने की कुछ तथाकथित समाजसेवियों की अभिलाषा अकसर बेहद शर्मनाक परिणाम लेकर आती है . ऐसा ही कुछ बैतूल जिले की आमला जनपद के अन्तगर्त आने वाले ग्राम झीटापाटी में देखने को मिली . बैतूल जिला मुख्यालय से मात्र 23 किलो मीटर की दूरी पर भोपाल - नागपुर नेशनल हाइवे 69 पर बसा आदिवासी बाहुल्य गांव झीटापाटी को अमीरो की तथाकथित सेवाभावी इंटर नेशनल संस्था लांयस क्लब एवं लायनेस क्लब ने गोद में लिया। बदले में इस गांव के कथित शराबी बच्चो को इस लत से छुड़वाने के लिए बैतूल के एक दवा विके्रत्रा एवं समाजसेवक कहलाने वाले छबिल काका लायंस क्लब का गर्वनर का तमगा मिला साथ मिला विदेश यात्रा का सुख। काका को मिले इस सम्मान की पोल काका के लांयस क्लब के भतीजो ने ही खोल कर उन्हे शर्मसार करना चाहा लेकिन धन्नासेठो और इस तरह के फर्जी समाजसेवियो के पास शर्म नाम की चीज कहां रहती यदि होती तो एक गांव और उसका बचपन इनकी महत्वाकांक्षा के आगे बदनाम न होता. सापना बांध की पत्थरो और बोल्डरो की अथाह कंकर पत्थर वाली कंटीली झाडिय़ो वाली पहाँडियों पर बसे आदिवासी बाहुल्य गांव झीटापाटी में रहने वाले ग्रामिणो का मूल कार्य आसपास के पत्थर गिटटï्ी तोडऩे वाले थ्रेसरो पर काम करना , उनके लिए नदी - नालो - पहाडिय़ो से गिटटी - पत्थर बोल्डर लाना तथा पैतृक एवं सम्पन्न किसानो के लिए खेती - बाड़ी का काम करना होता है . आदिवासी समाज में ऐसी मान्यताएँ जिसके अनुसार वे खुशी हो या गम हर काम में महँुआ की कच्ची शराब तथा गेहँू- मक्का की पेज पीते है . आसपास महँुआ के पेड़ों से महँुआ एकत्र करके उससे साल भर अपने हाथ से कच्ची शराब बना कर पीने वाले ग्रामिण भी इस $खबर से बेहद नाराज जिसमें यह लिखा गया है कि उनके बच्चे शराब पीकर स्कूल पढने जाते है. अपने बच्चो के बारे में अपमान जनक की बाते लिखे जाने एवं उसके प्रचार - प्रसार के बाद लोगो की जागी उत्सुकता के बाद लोगो की जिझासा का केन्द्र बने इस गांव में हर रोज कोई न कोई पेन कागज और कैमरा लेकर आ टपकता है। गांव में लोगो के जमावड़े के चलते उनका पूरा गांव और समाज ही बदनाम हो गया है . यहाँ यह उल्लेखनीय है कि राष्टरीय राजमार्ग 69 पर बसे इस आदिवासी बाहुल्य गांव के बारे में भोपाल से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र ने पहले पेज पर कवर स्टोरी छापी जिसमें उस गांव के 40 में से 39 स्कूली बच्चो को बचपन से शराब पीने तथा शराब पीकर स्कूल आने की बाते लिखी गई . इन बच्चो की शराब पीने की लत छुड़वाने के नाम पर बैतूल जिले के एक इंटरनेशनल लायंस क्लब के पदाधिकारी लायन छबिल दास मेहता और उस गांव के शिक्षक सुनिल तरकसवार को राष्टï्रीय पर्व पर जिला प्रशासन द्घारा सम्मानीत किया गया.राष्टï्रीय राजमार्ग 69 से लगे लगभग सौ - डेढ़ सौ की आबादी वाले झीटापाटी गांव की शासकीय प्राथमिक पाठशाला में दो शिक्षक पदस्थ है जिसमें एक स्वंय उस पाठाशाला का प्रधानपाठक तथा दुसरा उसका सहायक उक्त दोनो ही शिक्षक बैतूल से आना - जाना करते है . इन्ही में से एक बच्चो के भविष्य को बनाने वाले इसी प्राथमिक पाठशाला के प्रधान पाठक सुनील तरकसवार ने अपनी पदस्थापना के बाद से इस गांव को समाचार पत्रो एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में छाये रखने के लिए इस गांव के 40 स्कूली बच्चो में से 39 को कच्ची महँुआ की शराब का आदी बता कर लायंस क्लब के छबिल भाई मेहता काका के कथित प्रयासो से उन बच्चो एवं उनके माता - पिता को नशामुक्ति का पाठ पढा कर उनकी शराब पीने की लत से तौबा करना बता डाला. गांव की स्थिति आज भी ज्यों की त्यों है पूरा का पूरा गांव नशे में धुत मिलेगा. . लायन छबिल भाई को उनके इस तथाकथित काम के लिए इंटर नेशनल लायंस क्लब ने इंटर नेशनल एवार्ड दिया . बी . बी . सी . लंदन से लेकर बैतूल के साप्ताहिक समाचार पत्रो ने छबिल भाई को उनके इस काम के लिए उन्हे पहले पेज पर पहला स्थान दिया . कोठी बाजार में कांतीलाल एण्ड ब्रदर्स के नाम की दुकान के संचालक जगत काका छबिल भाई मेहता और झीटापाटी के स्कूल के प्रधानपाठक सुनील तरकसवार छबिल काका के पड़ौस में रहते है. कोठी बाजार क्षेत्र में रहने वाले दोनो पड़ौसियो की सम्मान की महत्वकांक्षा ने आज पूरे गांव को बदनाम कर डाला . इन दोनो व्यक्तियों द्घारा गांव के बच्चो एवं उनके माता - पिता को दारू पीने से तौबा कराने की बात को लायंस क्लब बैतूल के वर्तमान तथा पूर्व सदस्य एवं पदाधिकारी भ्रामक एवं असत्य बताते है . झीटापाटी ग्राम के पड़ौसी गांव की शासकीय प्राथमिक पाठशाला की महिला शिक्षिका भी स्वंय इस बात से काफी आहत है कि नाम के चक्कर में झीटापाटी गांव के प्रधान पाठक द्घारा परीक्षा केन्द्र पर उनकी पाठशाला के बच्चो को नकल करवा कर 95 प्रतिशत स्कूल का रिजल्ट बनवा लिया . अभी फिर से उन्ही बच्चो की परीक्षा ली जाए तो उक्त प्रधान पाठक शासकीय प्राथमिक पाठशाला झीटापाटी को मँुह छुपाने को जगह नही मिलेगी .
ग्राम झीटापाटी की प्राथमिक पाठशाला के कक्षा पहली से लेकर पाँचवी तक के कुल 40 में 39 बच्चो में शराब पीने की तथा शराब पीकर आने की आदत को बड़ी मुश्कील से छुड़वाने के समाचार प्रकाशन के बाद उक्त बहुचर्चित खबर पर सवाल उठाती ग्राम झीटापाटी की श्रीमति विमला जौजे मंगल सिह वाडिया कहती है कि हम स्कूल के मासाब की बात मान भी ले कि इस गांव के अधिकांश लोग शराब बेचने का काम करते है जिस घर में शराब बिकती हो वह घर का आदमी क्यों चाहेगा कि उसकी कमाई का जरीया उसका छोटा बच्चा पी जाए.....! एक बाटल शराब कम से कम अगर दस से बीस से चालिय रूपये में बिकती है तो उस रूपये से कम टाइम का राशन आएगा .....? ऐसे में कौन चाहेगा कि उसका बच्चा एक टाइम भुखा रह कर दारू पीये......! इसी गांव के 70 वर्षिय हीरा सिंह आत्मज जोगीलाल वाडिया भी इसी बात को आगे बढ़ाता हुआ कहता है कि उसने उसकी 70 साल की उम्र में किसी भी बच्चे को स्कूल शराब पीकर जाते नहीं देखा.....! 30 वर्षिय रमेश आत्मज फकीर उइके का एक भाई शिक्षक है . वह अपनी किराना दुकान से अपने परिवार का भरण पोषण करता है . रमेश भी इस तरह की ख़बरो से काफी दुखी है उसके अनुसार मास्टर अपने आप को श्रेय कुमार घोषित करवा कर अपनी इस कमजोरी को छुपाना चाहता है कि वह स्वंय तो कई बार स्कूल नहीं आता है तथा हर रोज बैतूल से आना - जाना करता है . जब उसकी पदस्थापना झीटापाटी गांव के लिए हुई है तो उसे इसी गांव में ही रहना चाहिए....! स्वंय जिला प्रशासन एवं सबंधित शिक्षा विभाग भी इस बात का खंडन करता है कि इससे पहले जब वह प्राथमिक स्कूल शुरू हुआ है तबसे किसी भी शिक्षक ने उन्हे इस गांव के बारे में आज दिनाँक तक लिखित या मौखिक रूप से ऐसी कोई शिकायत की हो जिसमें इस बात का जिक्र हो कि इस गांव के बच्चो को शराब पीकर स्कूल में आने की या उन्हे शराब पीने की लत लग चुकी है ....! सबसे आश्चर्य जनक बात तो यह है कि स्वंय इन दोनो शिक्षको ने भी ऐसी कोई शिकायत लिखित या मौखिक रूप से समाचार छपने के पूर्व नहीं की अगर की होती तो स्वंय शिक्षा विभाग जिला प्रशासन या किसी अन्य सेवाभावी संगठन की मदद से इस गांव के बच्चो के उत्थान के लिए प्रयास करता . सर्व शिक्षा अभियान के तहत खुले जन शिक्षा केन्द्र ससुन्द्रा के अन्तगर्त आने वाले झीटापाटी गांव के स्कूल के बच्चे भले ही नकल करवा कर प्राथमिक परीक्षा में अव्वल नम्बर पर आ गए हो लेकिन उन्ही बच्चो को शराबी बता कर अपने नाम छपवा कर श्रेय कुमार बनने वालो ने यह क्यों नही सोचा कि उनकी तथाकथित सम्मानित होने की लालसा ने झीटापाटी गांव को तो बदनाम किया ही साथ ही उन बच्चो की ऐसी पहचान बना दी तो कभी नहीं मिटने वाली .
इति,
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