Saturday, December 25, 2010

Rakh Se Khak Ho Rahi

                       सारणी ताप बिजली घर की जहरीली राख से नर्मदा , तवा , देनवा  
                                           प्रदूषित राख से खाक हो गई दर्जनों गांवों की आबादी
                                                                         रामकिशोर पंवार
अगर आपको परम पूज्यनीय सलिला माँ नर्मदा के स्नान के बाद खुजली होने लगे तो समझ लीजिये कि सारणी ताप बिजली घर की राख ने कमाल कर दिया .विचारणीय प्रश्र है कि सारणी ताप बिजली घर की राख से होशंगाबाद जिले का बहुचर्चित तवा नगर स्थित तवा जलाशय दिन - प्रति दिन तवा नदी में मिल रही राख के कारण वह आने वाले कल में अगर राख का दल-दल बन जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी . बैतूल जिले में स्थित सतपुड़ा ताप बिजली घर सारणी के जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार नदी के बहते जल में राख ना बहाने की चेतावनी तक तवा जलाशय की ओर से दी जा चुकी है लेकिन आज भी राख का हजारों टन का बहाव जारी है. बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति के जिला संयोजक पर्याविद एवं बैतूल जिला पर्यावरण वाहिणी के जिला सदस्य ने शासन को देनवा नदी के संरक्षण के लिए 1 करोड़ 35 लाख की एक योजना भेजी थी जिसमें नदी की साफ सफाई तथा निकाली गई राख से रोजगार केन्द्र खोल कर बेरोजगारी को दूर करने का सुझाव भेजा जा चुका है लेकिन पर्यावरण मंत्री बदल गये लेकिन सुझाव पर आज तक किसी प्रकार का अमल नही हो सका . पूर्व वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुश्री मेनका से लेकर कमलनाथ तक को सारनी ताप बिजली घर क राख से अपना स्वरूप खो चुकी देनवा नदी की प्रोजेक्ट रिपोर्ट कई बार भेजी जा चुकी है लेकिन राख से खाक हो रहे जल जीवन पर आज तक कोई भी सरकार इस दिशा में ठोस कारगर योजना नहीं बन सकी है . सारणी बिजली घर की चिमनियों से निकलने वाली राख से सारनी के आस पास के दर्जनों गांव प्रभावित है. राख में खाक हो रहा जन जीवन दिन प्रतिदिन मौत की आगोश में समा रहा है. मीलों दूर तक खेतों में जमी राख ने गरीब आदिवासी मजदूर किसानो की फसल के साथ साथ जानवरों का चारा-पानी तक को जहरीला बना दिया है.जब इस ताप बिजली घर की स्थापना हुई थी तब उन आदिवासियों को भरोसा दिलाया गया था कि यह पावर हाउस उनकी जिंदगी में उजाला ला देगा लेकिन उजाला तो दूर रहा इन आदिवासियों की जिंदगी में काला अंधकार छा गया है. इस क्षेत्र के रहवासियो के दुधारू और खेती में उपयोगी जानवर राख युक्त पानी तथा चारा खाकर घुट-घुट कर मर रहे है. वहीं दूसरी ओर उन्हें फसल के उत्पादन के प्रतिशत में लगातार आ रही गिरावट के साथ साथ उनके जीवन यापन पर भी भारी संकट आ खड़ा है. राख ने मानव के शरीर से लेकर जानवरों तक के शरीर में घुस कर उसके फेफड़ों एवं आतों तक में बारीक छेद कर डाले है. एक जानकारी के अनुसार सारणी ताप बिजली घर से प्रति दिन हजारों टन राख पानी के साथ पाईप लाइनों के जरिये बांध में बहा दी जाती है. इससे बांध एक प्रकार से दल-दल बन गया है. जिसमें जानवर धंस कर मर रहे है. राख बांध की लागत करोड़ों में आंकी जाती है लेकिन मजेदार तथ्य यह ह कि इस बांध में इतना पैसा खर्च हो चुका है कि इतनी लागत से कम से कम चार-पांच इस जैसे राख बांध बनाये जा सकते थे.हर साल बरसात में राख बांध तोड़ जाता है ताकि, ओवर फोलो राख का बहाव बांध को ही बहाकर ना ले जाये. जानकार सूत्रों ने बताया कि देनवा, फोपस, तवा एवं नर्मदा तक इस राख से प्रभावित होकर राख युक्त सफेद पानी तथा जहरीले रासायनिक पदार्थो के कारण यह नदियां जहरीली बन रही है. अब अगर आपको नर्मदा के स्नान के बाद खुजली होने लगे तो समझ लीजिये कि सारणी की राख ने कमाल कर दिया. सारणी की राख से तवा नगर का जलाशय राख का दल-दल बनते जा रहा है. सारणी बिजली घर के अधिकारियों को कई बार राख न बहाने की चेतावनी तवा जलाशय की ओर से दी जा चुकी है लेकिन हजारों टन राख का बहाव जारी है. सारणी ताप बिजली घर की राख ने मोरडोंगरी, विक्रमपुरी, धसेड़, सलैया, सीताकामथ, चोर कई गांवों को अपनी आगोश में जकड़ लिया है. सारणी ताप बिजली घर की राख के कारण प्रदूषित नदियों का मामला प्रदेश की विधानसभा में उठाया जा चुका है. बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति तथा देनवा बचाओं समिति के द्वारा की गई पहल पर इटारसी के भाजपा के तत्कालिन विधायक डाक्टर सीताशरण शर्मा ने विधानसभा में जब देनवा नदी के मामले पर शासन को गलत जानकारी देने के लिये लताड़ते हुए देनवा नदी की एक वीडियो कैसेट दी तब जाकर उस समय के राज्य सरकार के पर्यावरण मंत्री को यह स्वीकार करना पड़ा कि प्रदेश की 10 प्रदूषित नदियों में देनवा भी शामिल है. देनवा बचाओं अभियान से जुड़े पर्याविद का कहना है कि शासन ने आज तक दस प्रदूषित नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिये कोई खास कारगार योजना नहीं बनाई है. सारणी की राख से प्रभावित नदियों के लिये महामहिम राष्टï्रपति को हजारों पोस्टकार्ड लिख चुकी बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति ने शासन को देनवा नदी के संरक्षण के लिये 1 करोड़-35 लाख की एक योजना भेजी थी जिसमें नदी की साफ सफाई तथा निकाली गई राख से रोजगार केन्द्र खोल कर बेरोजगारी को दूर करने का सुझाव भेजा था. पूर्व में तत्कालिन वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुश्री मेनका से लेकर वर्तमान केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को तक देनवा नदी की प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजी जा चुकी है लेकिन राख से खाक हो रहे जल जीवन पर आज तक कोई ठोस कारगर योजना नहीं बन सकी है. सारणी की राख को लेकर सतपुड़ा ताप बिजली घर भी चिंतित है लेकिन मंडल के पास ठेकेदारों के राख निकासी के फर्जी बिलों के भुगतान करने के अलावा कोई योजना नहीं है. मंडल प्रतिवर्ष तवा जलाशय एवं राख नाले में राख के निकालने तथा राख बांध के रख-रखाव के साथ साथ बांध की ऊंचाई बढ़ाने के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च करता है. राख बांध के पानी की रिसायक्लीन योजना भी फेल हो गई है. अब सारणी ताप बिजली की राख से प्रभावित ग्रामवासी राख से नष्टï हो रहे जल जीवन से दुखी होकर पलायन करते जा रहे है.अपने पूर्वजो की अनमोल धरोहर को छोड़कर भविष्य को बचाने के लिये गांवों को छोड़कर जाने से इन गांवों में चीखता सन्नाटा इस बात का संकेत देता है कि गांवों में मौत का कहर शुरू हो चुका है यही कारण कि यहां के ग्रामीण पलायन कर चुके है .मध्यप्रदेश पांवर जनरेटिंग कंपनी जो कि पूर्व में एमपीइबी थी जिसकी सतपुड़ा ताप बिजली घर सारनी में प्रस्तावित 10 एवं 11 नम्बर की दो युनिटो के निमार्ण के बाद उससे निकलने वाली राख को संग्रह करने के लिए राखड डेम को बढाये जाने की कार्य योजना को उस समय झटका लग गया जब राखड डेम में आने वाली भूमि के भूस्वामियों ने सरकारी मंशा को मानने से इंकार कर दिया। ग्राम पंचायत धसेड के अजाक प्राथमिक शाला में आयोजित बैठक में विक्रमपुर ,धसेड , सेमरताल , रयावाड़ी , घोघरी , के ग्रामवासी एक साथ बोल उठे कि हम मर जायेगें लेकिन अपने पूर्वजो की जमीन को किसी भी सूरत में खाली नहीं करेगें। बैतूल जिला कलैक्टर एवं मध्यप्रदेश पांवर जनरेटिंग कंपनी की सारनी युनिट के मुखिया की उपस्थिति में  सैकड़ो ग्रामवासियो ने 10 एवं 11 नम्बर की नई युनिटो के निमार्ण के बाद प्रतिदिन निकलने वाली राख के संग्रहण के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के बदले पांवर जनरेटिंग कंपनी द्घारा दी जाने वाली 14 सुविधाओं का प्रस्ताव ठुकरा दिया। सारनी ताप बिजली घर की वर्तमान समय में प्रतिदिन निकलने वाली 70 टन से अधिक राख को पानी में घोल कर पाईप लाईनो के माध्यम से एश बंड तक पहँुचाने के बाद करीब दस किलो मीटर के क्षेत्र में फैले राखड बांध में संग्रहित किया जाता है। हर साल बरसात में सारनी ताप बिजली घर का राखड डेम कहीं न कहीं से फूट जाता है और लाखो टन राख देनवा नदी के सहारे तवा जलाशय पहँुच जाती है। अभी तक पिछले बीस दशक में राखड डेम 38 से अधिक बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। सारनी ताप बिजली घर की राख पहले आसमान में उड़ती थी जिससे लगभग 20 से 30 किलोमीटर का क्षेत्र कृषि उपयुक्त भूमि की उपजाऊ क्षमता को निगल चुका है। भारी विरोध के बाद असामानी राख को डेम बना कर संग्रहित करने के बाद भी राख से खाक हुई आबादी एवं कृषि एवं गैर कृषि उपयोगी भूमि पर उगी फसल एवं वनस्पति के बेस्वाद तथा नष्टï हो जाने की चिंता से चिंतित बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति कई बार ग्रामवासियो के दर्द एवं देनवा नदी को बचाने के लिए जन आन्दोलन चला चुकी है। इस बार पुन: पांवर जनरेटिंग कंपनी द्घारा 5 गांवो की सरकारी एवं गैर सरकारी 343 हेक्टर भूमि को अधिग्रहित करना चाहती है। इन 5 गांवो के लगभग 188 किसान परिवारो की जमीने इस राखड बांध के विस्तारीकरण में चली जायेगी। ग्राम पंचायत धसेड में आयोजित बैठक में उपस्थित प्रभावित किसान परिवार एवं उस आश्रित लोगो की भीड ने पांवर जनरेटिंग कंपनी के अफसरो पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुये उन्हे भी खरी - खोटी सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन ग्राम वासियो का आरोप था कि पाथाखेड़ा की कोयला खदानो एवं सारनी के ताप बिजली घर के निमार्ण की बलि चढ़े कई गांवो के मूल निवासियों को भी उस समय हटाने से पूर्व इसी तरह के लालीपाप दिये थे लेकिन उनके साथ वादा खिलाफी की गई। सारनी ताप बिजली घर के विस्तारीकरण की भेट चढ़ा ब्रहमणवाड़ा गांव का उदाहरण देते हुये ग्राम पंचायत की पूर्व सरपंच श्रीमति जीको बाई ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या जानवर अपनी मां को नहीं छोडऩा चाहता। यह धरती जिस पर हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कार को करती चली आ रही है उसे हम किसी भी सूरत में छोडऩे को तैयार नहीं है। ग्राम पंचायत धसेड के अजाक प्राथमिक शाला में जिला प्रशासन एवं पांवर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियो द्घारा बुलवाई गई समझाइश बैठक में ग्रामिणो का पक्ष काफी उग्र एवं आक्रोषित रहा।

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